Madhu Arora

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अनोखी दोस्ती

अनोखी दोस्ती भाग 14
अभी तक आपने पढ़ा, कोयल राघव के साथ वृद्ध आश्रम जाती है। और वह वहांँ पर रेखा जी को देखती है रेखा जी को इस हालत में देख कर उसको अचंभा होता है। पर सेठ रायचंद उसको ज्यादा देर बात नहीं करने देते ,और अपने साथ घर ले आते हैं अब आगे।

कोयल सेठ रायचंद से बोली विनय की माँ इस हालात में ऐसा क्यों।

बेटी पिछले 6 सालों में बहुत कुछ बदला है, तुम्हारी जिंदगी मैं बीते हुए कल का एक भी पल आए जो तुम्हारी खुशियां छीन ले तुम्हारे मन में उदासी ला दे ,इस वजह से हमने कुछ नहीं बताया। तुम अपने बेटे के साथ खुश थी और हम भी तुम्हें  देख कर खुश थे।

कोयल "मैं इन लोगों को कब का भुला चुकी हूं मेरे को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता"।
पर मुझे सच जानना है।
सेठ रायचंद अगर "बेटी तुम्हें सच जानना है तो घर चलो
पीहू की जो गेस्ट आने वाली है वही तुम्हें सारा सच बताएंगी।"

कुछ समय के बाद सेठ रायचंद, कोयल , राघव घर पहुंचे कोयल के मन में अनेकों सवाल उठ रहे थे पर जैसे ही ड्राइंग रूम में पीहू के साथ सिया को बैठे देखा।
सिया को वहांँ देखकर कोयल एकदम से चौंक गई।

पीहू
 "सिया इनसे मिलो यह मेरी बचपन की दोस्त कोयल है"।
सिया..... हाय" कोयल कैसी हो तुम"
सिया तुम।

पीहू "अब तक तुम्हारी लड़ाई सिया ही लड़ रही थी"।
कोयल "मेरी लड़ाई सिया लड़ रही थी"।

हाँ कोयल

कोयल मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा!
सिया कोयल को एक-एक करके सारी बातें बताने लगी


        पीहू और सिया विदेश में एक साथ पढ़ते थे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई।

पापा मेरी और पराग की शादी के लिए नहीं मान रहे थे ।तो मेरे पास है घर छोड़कर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं था।

एक दिन मैं बहुत परेशान थी मैंने सिया को कॉल लगाया सिया मैंने सुना है कि
 " मेरी सहेली कोयल की शादी विनय सी हो गई है"।

शादी और विनय के साथ यह क्या कह रही हो तुम?
 
जरा तुम उसका ध्यान रखना तू तो विनय के पड़ोस में ही रहती है। "पीहू मैंने तुम्हें हजार बार बोला है विनय अच्छा लड़का नहीं है। उसके बाद लड़की के साथ अफेयर है। उसके साथ घर बसा कर कोई कभी खुश नहीं रह सकता"।
 
सिया विनय के पड़ोस में ही रहती थी और उसका विनय के घर अच्छा आना-जाना था।

सिया अब तू ही कुछ कर तू तो उसके पास में ही रहती है उसके घर जाकर देखना वह मेरी कोयल के साथ कैसा सलूक कर रहे हैं।

मुझे कोयल को लेकर बहुत चिंता हो रही है।

पीहू की रिक्वेस्ट करें सिया को विनय के घर पहुंचे विनय की मम्मी तो सिया को बचपन से ही बहु बनाने के सपने संजोए हुए थी।

सिया तो उनका कोयल के प्रति व्यवहार देखकर समझ गई यह लोग बिल्कुल नहीं बदले।

और उसने फिर पीहू से बात कर सब प्लान सेट कर लिया।
पीहू सिया से इन्होंने मेरी दोस्त को जिस हाल में घर से धक्के मार कर बाहर किया है मैं इनको बिल्कुल नहीं छोड़ने वाली हूं और फिर धीरे-धीरे दिया विनय से उसका घर अपने नाम करवा लिया । कहानी यहीं से शुरू होगी पीहू तुम देखती जाओ मैं क्या करती हूं  ।

सिया अब तो" मैंने घर भी तुम्हारे नाम कर दिया है तुम शादी क्यों नहीं कर रही हो"।
"माय फुट विनय !शादी तुमसे तुम्हें तो लड़कियों की इज्जत करनी नहीं आती तुमने जिस हालत में अपनी पत्नी को बाहर निकाला है या फिर देखने के बाद भी मैं तुमसे शादी करने की सोच सकती हूं क्या?
रेखा 
यह क्या बोल रहा है" तूने हमारा घर इसके नाम कर दिया"

"जी हां कब का कर चुके हैं और जल्दी से घर खाली कर दीजिएगा"।

अंदर से रमेश बोलते हुए आते हैं "यह मेरा घर है मेरा घर
जोर से हंसते हुए यह आपका घर था अब यह मेरा घर है।, और आप लोग जल्दी से अपने कपड़े लीजिए और घर से बाहर निकलिए। 
"जैसी करनी वैसी भरनी एक बेसहारा लड़की को प्रेग्नेंट करके छोड़ दिया और उसको घर से भाग खड़ा कर दिया यही तुम्हारे इंसानियत है ना?
सूद समेत आप से बदला लूंगी।"
जितनी जल्दी हो सकता है घर से बाहर निकलिए।

सिया अपनी असलियत दिखाकर घर से बाहर निकल आई। 

विनय के पापा यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके और उनकी तबीयत खराब हो गई उनको हार्ड अटैक आ गया।

रेखा नंदनी को फोन करती है "बेटा नंदिनी हम दोनों तो बुड्ढे हो गए हैं और तेरे पापा की तबीयत भी ठीक नहीं है क्या तू हम दोनों को अपने घर नहीं रखेगी और तुझे पता है तेरा भाई कैसा है?"

नंदिनी "नहीं मांँ नहीं मैं तुम्हें अपने घर नहीं रख सकती। आपने भैया का तो घर बसने नहीं दिया मेरा घर भी खराब कर दोगी और आपने भाभी को जिस हालत में घर से बाहर निकाला था वह अच्छा नहीं किया था"।

"भैया और भाभी का घर बसने जा रहा था तो आपने कितनी सारी तरकीब लगा कर झूठे सच्चे इल्जाम लगाकर उनका घर बसने से पहले ही खराब कर दिया। नहीं मैं तुम्हें अपने घर नहीं ला सकती आप मेरा घर भी बसने से पहले खराब कर "
आप यहांँ ना आए तो बेहतर होगा।

अब विनय के पास कुछ नहीं बचा था 
ना जॉब ना घर ना पैसे।

रेखा भी विनय" यह सब तेरे कारण ही हुआ है"
क्या जरूरत थी प्यार में अंधा होकर यह घर सिया के नाम करने की?

"नहीं मम्मी यह सब आपके और पापा के कारण हुआ है आपने ही कभी मुझे सही रास्ता नहीं दिखाया और मैं कोयल से प्यार करने भी लगा था आपने ही मुझे गलत रास्ता दिखाकर उठाया और उसे छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
मुझे पता था कोयल मेरे बच्चे की मां बनने वाली है अगर हम एक साथ रहते तो यह घर जन्नत हो जाता आपने ही मेरी पत्नी के लिए मेरे दिमाग में गंदगी भरकर इस को घर से निकालने के लिए मजबूर किया।"

अब विनय का अपने मम्मी पापा के साथ रोज झगड़ा होता था।
रोज-रोज दारू पीकर आने लगा था।

और रमेश की तबीयत दिन प्रतिदिन बिगड़ने लगी अब वह चलने फिरने लायक भी नहीं रहा।

विनय "तेरे पापा की दवाइयां खत्म हो गई है और तू दारू पीता रहता है"।

"मेरे पास दवाइयों के लिए कोई पैसे नहीं है जाओ उन्हें यहां से लेकर किसी वृद्ध आश्रम में चली जाओ"।
विनय की मम्मी विनय की  की बर्बादी नहीं देख पाए
और अपने पति को लेकर किसी वृद्ध आश्रम की ओर चली गई।

कोयल उनके साथ इतना सब कुछ हो गया।
विनय कैसे हैं विनय का क्या हुआ। यह सब जानने के लिए मेरा अंतिम भाग थोड़ा इंतजार कीजिए और अपनी सुंदर-सुंदर समीक्षाओं से मेरा हौसला बढ़ाइए आपका हौसला ही तो मुझे लिखने की प्रेरणा देता है।
      रचनाकार मधु 




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3 Comments

hema mohril

02-Jul-2023 09:02 AM

Nice

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वानी

15-Jun-2023 10:33 AM

Nice

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